आखिरकार समाजसेवियों के प्रयास से आजादी के 77 साल बाद होगा गांव का विद्युतीकरण,ग्रामीणों में हर्ष

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गोंडा।1947 को देश आजाद हुआ था। आज राष्ट्र अपना 78 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इन 78 सालों में देश में कृषि, तकनीक, चिकित्सा, लोक निर्माण, विज्ञान, खेल आदि क्षेत्रों में काफी तरक्की हुई लेकिन आज भी कुछ गांव ऐसे हैं जहां पक्की सड़क और बिजली का इंतजार करते-करते पीढियां गुजर गई हैं। ट्यूबलाइट और बल्ब की चमक के बिना ही लोगों ने उम्र गुजार दी। ऐसा ही एक गांव तुलसीपुर माझा जहां के बैरागपुर और सुखराम पुर मजरों में आजादी के 77 साल बाद विद्युतीकरण होने जा रहा है। इन दोनों मजरों में करीब 500 लोग रहते हैं। मुख्य ढेमवा मार्ग से यहां पंहुचने के लिए करीब 03 किलोमीटर का धूल भरा कच्चा रास्ता है जो बाढ के दिनों में आवागमन की दृष्टि से और भी दुष्कर हो जाता है। इन दोनों मजरों में विद्युतीकरण के लिए खम्भे गिराये जा रहे हैं जिससे गांव के लोगों हर्ष है। गांव के कन्हैयालाल ने बताया कि आज तक उनके मजरे में बिजली और सड़क नहीं थी लेकिन अब समाजसेवी अनिल सिंह के प्रयास से बिजली लगने जा रही है।

सुनील ने बताया कि मेरे बाबा खत्म हो गये, मेरे पिता की उम्र 55 साल है अब मेरी भी उम्र 35 साल हो गई लेकिन आज तक लाइट नहीं लगी थी लेकिन अब लाइट लगने से काफी सुविधा मिलेगी।
शीला देवी ने बताया कि मोबाइल चार्ज करै के लिए बहुत दूर जाना पड़ता था, शाम होते ही अधेंरे में डर लगता था लेकिन अब बिजली लग जायेगी तौ बच्चों की पढ़ाई लिखाई में भी सुविधा होगी और मोबाइल भी घर पर ही चार्ज होगा।
गांव के समाजसेवी अनिल सिंह ने बताया कि कई साल पहले इन दोनों मजरों में विद्युतीकरण और सड़क के लिए पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह से भी संबधित को पत्र लिखवाया गया था। उसके बाद उनके बेटे करन भूषण सिंह ने दोनों मजरों तक रास्ते पर मिट्टी पटाई का काम कराया। जब वह सांसद बने तो विद्युतीकरण के लिए उनसे भी संबधित को पत्र लिखाया गया था। अब जाकर गांव में विद्युतीकरण शुरू हुआ है जिससे लोगों को सुविधा होगी। समाजसेवी ने बताया की कच्चे रास्ते पर इंटरलाकिंग का काम भी प्रस्तावित है। फिलहाल गांव के लोग खुश हैं और समाजसेवी के अथक प्रयासों की सराहना कर रहे हैं।

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