गोंडा।।केन्द्रीय सिविल सेवा (पेन्शन) नियमों और भारत की संचित निधि से पेंशन देनदारियों पर व्यय के सिद्धान्तों के वैधकरण से संबंधित विधेयक संसद से पारित हो जाने के फलस्वरूप केन्द्र सरकार को पूर्व पेंशनरों और वर्तमान पेंशनरों में विभेद करने का अधिकार भी प्राप्त हो गया है। इस प्रकार केन्द्र सरकार के द्वारा पूर्व पेंशनरों एवं वर्तमान पेंशनरों में भेद करने के अधिकार प्राप्त करने से न केवल माननीय उच्चतम न्यायालय के विभिन्न निर्णयों का उल्लंघन होता है।पेंशनरों के मध्य 7वें वेतन आयोग द्वारा प्रदत्त समानता भी समाप्त होने का जोखिम उत्पन्न हो गया है। इसे लेकर आज पेंशनार्थियो ने एक ज्ञापन दिया।
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कमेन्ट पालिसी
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