सहजन (Drumstick)के प्रयोग से क्या है लाभ देखे

 
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दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है . वहीँ उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है. सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है. फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है. इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है।
👉 आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियां व सूखी पत्तियां में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
👉 इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, और फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्र रोग, मोच, शायटिका, गठिया आदि में उपयोगी है।
जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शायटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
👉सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर, वातघ्न, रुचिकारक, वेदना नाशक, पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है।
सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है।
👉इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शायटिका ,पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचाता है।
शायटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।
मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलता है।
सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।
इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।
सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पिने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के किडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।
इसकी जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
इसकी पत्तियों को पीस कर घाव पर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है।
सर दर्द में इसके पत्तों को पीस कर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे।
इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है।
पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है।
यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है।
जिससे जीव विज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
कैंसर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ में अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है।
यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा शायटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है।
सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है।
सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है, विटामिन सी शीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से।
अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें इससे जकड़न कम होगी।
इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है।
इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है।
इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया जा रहा है।
इसकी हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है।
इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
आप सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं, इससे शरीर का रक्त साफ होता है।
पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
 
साभार-
डॉ विजय प्रताप मौर्य (आयुर्वेदाचार्य)
आयुषा आयुर्वेदिक औषधालय 
न्यू इन्द्रानगर सर्कुलर रोड गोण्डा 

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